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इस विस्तृत अभ्यस्क्रम में भूखंड चुनाव, गृह निर्माण, गृह कक्षाओं का स्थान विवरण जैसे अनेक पेचीदे विषयों की शिक्षा प्रदान की जाती है । अनुचित स्थापन से निर्माण होने वाले दोष निवारण प्रक्रिया भी सिखाया जाता है।
केरल वास्तु विद्या के कुछ विशिष्ट पहलू हैं जैसे गृह निर्माण संबंधित माप, दिशानुकूलता इत्यादि। इस क्रम में केरल पद्धति अनुकूल वैदिक वास्तु और केरल वास्तु के विशिष्ट पहलुओं का समावेश है।
फेंगशुई की बढ़ती लोकप्रियता के वजह से इस विद्या को वास्तु विद्या के पाठ्य क्रम में जोड़ दिया गया है। आम तौर पर फेंग शुई को केवल एक उपसाधन/सहाय्यक अंग के तौर पर इस्तेमाल किया जाता है जहां किंचित दोषों के निवारण हेतु वस्तुओं का प्रयोग किया जाता है। किन्तु फेंगशुई एक सम्पूर्ण गृह सामग्री रचना की विद्या है जिसे इस पाठ्यक्रम में सिखाया जाता है।
प्रारंभिक अथवा व्यावसायिक वास्तु प्रयोग शिक्षा वृद्धि हेतु मंदिर वास्तु,धार्मिक वास्तु, वास्तु दोष निवृत्ति प्रयोग, वास्तु ज्योतिष और वास्तु तंत्र, पूजा और यंत्र प्रयोग सहित सिखाया जाता है।