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देवता साधना में साधक की लौकिक अथवा पारमार्थिक उद्धार की अनुकूलता का आंकलन कर , उस साधक को मंत्र उपदेश और दीक्षा प्रदान किया जाता है। दीक्षा क्रम शास्त्रोक् विधी के अनुसार किया जाएगा जिसमें कलाशभिशेक और देवता के ऊर्जा का आवाहन होगा तथा साधक से होम विधी का अनुसरण कराया जाएगा और अंत में उपदेश मंत्र और साधना विधी से परिचित किया जाएगा।
ये एक अत्यंत पावन वार्षिक विधी है जिसमें साधक के जातीय भेदभव नहीं होता और समान रूप से सभी साधकों का(जो इस परंपरा का अनुसरण करना चाहते हैं) उपनयन किया जाता है। इच्छुक साधकों का 2 दिवसों के स्थानिक उपस्तिथि में पारंपरिक तौर से उपनयन कराया जाता है जिसमें गुरू द्वारा यज्ञोपवीत (जनेऊ) धारण, गायत्री मंत्र उपदेश कर संध्या वंदन क्रम से अवगत कराया जाता है।
यहां केवल दीक्षा और साधना तक क्रम सीमित नहीं है। इच्छुक साधक विशिष्ट देवता संबंधित पूजा होम तंत्र पद्धती में सीख सकते हैं और आगे पुरश्चरण और तंत्र साधना के कुछ विशिष्ट पहलुओं पर भी सहायता प्रदान किया जाता है।