साधकों के अध्यात्म उन्नति हेतु श्रीविद्या तंत्र पीडोम साधकों के शिक्षा प्रणाली में पद्धतीबद्ध दृष्टिकोण अपनाती है। आइए नजर डालते हैं शिक्षा पद्धति पर
गणपती होम , शिव पूजा, दुर्गा पूजा , काली पूजा क्रमशः पहले सिखाया जाता है ताकि साधक को घर में, इतर लोगों अथवा मंदिरों में अकेले ही पूजा करने का एक मजबूत आधार मिले।
इस क्रम में बाला , श्रीविद्या राज्नी , मातंगी, वाराही, अश्वारूढ़, संपत्करी, प्रत्यंगिरा, ललिता अथवा षोडशी साधना सिखाया जाता है, जिससे साधक क्रमपूर्ण प्रगती करें और श्रीविद्या देवता साधना का फल प्राप्त करें।
– इस क्रम में श्रीविद्या देवताओं का विस्तृत आवरण पूजा सिखाया जाता है जिसमें बाला नवायोनी पद्म पूजा , ललिता नवावरण पूजा और षोडशी की विस्तृत आवरण पूजा शामिल हैं।
साधकों के मनोरथ अनुसार , साधना वृद्धि के उपक्रम अनुकूल , विस्तृत महा गणपती होम , अघोर शिव होम, श्रीविद्या ललिता होम, महा प्रत्यंगिरा होम, और अन्य होम सिखाए जाते है।
साधकों का बाह्य पूजा क्रम में निपुणता अर्जित करने के उपरांत , उनके आंतरिक पूजा क्रम में आवश्यक परिपक्वता के निर्धारण पश्चात उन्हें आंतरिक दिव्यता की अनुभूति क्रम भी पढ़ाया जाता है। इससे साधक केवल बाह्य पूजा विधियों में न उलझे रहकर आंतरिक दिव्यता का अन्वेषण कर सकते हैं। इस क्रम में विस्तृत आंतरिक पूजा और आंतरिक चक्रों को श्री चक्र के आवर्णों के रूप में पूजा करना सिखाया जाता है।