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भारत के केरल राज्य में स्थित श्रीविद्या तंत्र पीडम की स्थापना , जिज्ञासु साधकों को, मुफ्त, श्रीविद्या तंत्र का ज्ञान प्रदान करने के लिए हुआ है, और इसे देवी राजराजेश्वरी को समर्पित करने के भाव से सिखाया जा रहा है ।
महानिर्वाण तंत्र व कुलार्णव तंत्र जैसे ग्रंथों ने तंत्र को, कलियुग में आत्म-बोध का एक सरल और उपयुक्त साधना बतलाया है । किसी भी जाति, धर्म, लिंग अथवा अन्य पक्षपात के , श्रीविद्या तंत्र पीडम , इच्छुक साधकों को राजराजेश्वरी देवी की तांत्रिक मोक्ष विद्या सीखने का अवसर प्रदान करने का प्रयत्न करती है।
श्रीविद्या तंत्र पीडम , दुनिया भर के श्रीविद्या साधकों के उद्धार हेतु, श्रीविद्या साधना के भक्ति, ज्ञान, क्रिया और चर्या के पहलुओं पर प्रकाशन प्रस्तुत करती है, और शिक्षा भी प्रदान करती है।श्रीविद्या का सार कुण्डलिनी तंत्र है, जो साधकों को श्रीविद्या योग और पूजा क्रम में यहाँ पढ़ाया जाता है। इसमें भक्ति, ज्ञान, व चर्या के पहलुओं को क्रिया के साथ सम्मिश्रित करके सिखाया जाता है । सम्पूर्ण ज्ञान की दृष्टि से साधकों को प्रत्येक चरण का महत्व, आंतरिक अर्थ और संबंधित पहलुओं का ज्ञान दिया जाता है।पाठ्य-क्रम के अनुसरण एवं पठन के आधार पर, साधकों को साधना के अगले चरण पर निर्देशित किया जाता है।
श्रीविद्या तंत्र पीडम गुरुकुल प्रणाली का अनुसरण करती है, जहां पर इच्छुक साधक, सीखी गई विद्या को प्रदर्शित करके ही अगले चरण की ओर प्रस्थान कर सकते हैं। श्रीविद्या तंत्र पीडम इसके बदले में शिष्यों से केवल आध्यात्मिक वृद्धी की प्रतिबद्धता की आशा रखती है।