सिद्ध कुण्डलिनी शक्ति योग

(सभी कक्षाएं / सत्र निःशुल्क हैं)

सिद्ध कुण्डलिनी शक्ति योग का अभ्यास साधक को एक व्यवस्थित चरणबद्ध पद्धति से स्थूल देह को दिव्य देह में रूपांतरित करने के लिए मार्गदर्शन करता है।

स्थूल देह से योग देह

पहला चरण स्थूल देह को योगिक देह में बदलने का है। इसमें आसन, बंध, मुद्रा, प्राणायाम, ध्यान और धारणा जैसे अभ्यास शामिल होते हैं। ये ऊर्जा मार्गों को शुद्ध करते हैं, आसन को स्थिर करते हैं, एकाग्रता बढ़ाते हैं, श्वास को संतुलित करते हैं और योगिक अनुशासन स्थापित करते हैं।

योग देह से सिद्ध देह

इसके बाद योग देह को सिद्ध देह में रूपांतरित किया जाता है। यह नाड़ी, चक्र, कुण्डलिनी और आधारों से जुड़े अभ्यासों द्वारा होता है। कुण्डलिनी ऊर्जा का ऊपर की ओर प्रवाह मानसिक परिपक्वता लाता है और साधक को सिद्धियाँ प्रदान करता है।

सिद्ध देह से मंत्र देह

इस चरण में प्राणव योग, व-सी योग और हंस योग जैसे मंत्र-साधना आधारित अभ्यासों से शरीर की वास्तविक क्षमताओं को जागृत किया जाता है और ऊर्जा को विशिष्ट कार्यों हेतु निर्देशित किया जाता है।

मंत्र देह से दिव्य देह

अंत में मंत्र देह को दिव्य देह में रूपांतरित किया जाता है। इसके लिए ज्योति योग, बिंदु योग, व्योम योग और तुरीय योग जैसे अभ्यास किए जाते हैं, जो आत्मा को शुद्ध चैतन्य रूप में प्रकट करते हैं और साधक को दिव्यता की अनुभूति कराते हैं।

सिद्ध कुण्डलिनी शक्ति योग एक सर्वोच्च योग मार्ग है जो दीर्घायु, उत्तम स्वास्थ्य, आंतरिक शांति, सुप्त क्षमताओं की जागृति, अद्भुत कौशल और आध्यात्मिक ज्ञान प्रदान करता है।
यह कक्षाएं क्रमबद्ध रूप से आयोजित की जाएंगी। उन्नत अभ्यास जैसे पर्यंग योग (यौन ऊर्जा पर नियंत्रण) और कायाकल्प योग (कायाकल्प और वृद्धावस्था की प्रक्रिया को धीमा करने हेतु) भी शामिल हैं।
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